नवरात्रि द्वितीया दिवस 2025

 नवरात्रि द्वितीया दिवस 2025: महत्व, पूजा विधि और व्रत कथा



नवरात्रि का दूसरा दिन द्वितीया तिथि कहलाता है। इस दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और साधना की प्रतीक हैं। यह दिन साधकों को संयम, धैर्य और तपस्या का महत्व सिखाता है 


नवरात्रि द्वितीया दिवस का महत्व


द्वितीया तिथि पर मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से साधक को कठिन से कठिन कार्य में सफलता प्राप्त होती है।


मां ब्रह्मचारिणी को पूजा करने से आत्मबल मिलता है 


जीवन में शांति और समृद्धि आती है


साधना से मानसिक शांति और एकाग्रता प्राप्त होती है।


ब्रह्मचारिणी माता को प्रसन्न करने से कठिनाई दूर होती हैं।


मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप


हाथ में जपमाला और कमंडल लिए हुए।


सरल और श्वेत वस्त्रधारी।


तपस्या और साधना का प्रतीक स्वरूप।


नवरात्रि द्वितीया दिवस पूजा विधि


1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करे।


2. माता ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।


3. दीपक और धूप जलाकर पूजा आरंभ करें।


4. माता को श्वेत पुष्प, अक्षत, रोली और चंदन अर्पित करें।


5. गंध, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।


6. मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र का जाप करें –

ॐ देवी ब्रह्मचारिणी नमः ।


7. अंत में माता की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।


नवरात्रि द्वितीया व्रत कथा


पौराणिक मान्यता  है कि मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शंकर को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने वर्षों तक केवल बेलपत्र, फल और फिर निराहार रहकर कठिन तप किया। उनकी इस कठिन साधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। यही कारण है कि द्वितीया तिथि को तप और संयम का प्रतीक माना जाता है।


नवरात्रि द्वितीया दिवस पर विशेष उपाएं 


इस दिन श्वेत वस्त्र धारण करें।


मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाएं।


व्रत करने वाले पूरे दिन सात्विक भोजन ही करें।


जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।


निष्कर्ष


नवरात्रि का दूसरा दिन साधकों को संयम, तप और आत्मबल की शिक्षा देता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन की हर कठिनाई सरल हो जाती है और व्यक्ति को सफलता एवं शांति प्राप्त होती है।

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